जीर्णोध्दार प्रेरणाश्रोत : श्रीमती शर्बत देवी गंगवाल, धर्मपत्नी स्वर्गीय प्रभु लाल जी गंगवाल

अतिप्राचीन मनोरथपूर्ण 1008 श्री मुनिसुवरत अतिशय श्रेत्र के जीर्णोध्दार की पहल और प्रेरणा, श्रीमती शर्बत देवी गंगवाल से मिली है!

श्रीमती शर्बत देवी गंगवाल पिछले 15 सालो से मंदिरो के जीर्णोद्धार हेतु, नियमित रूप से, सहायता राशि देती आई है और उनके संपर्क में आए सभी साधर्मी बन्धुओं से मंदिर जीर्णोद्धार के प्रति श्रावको को उनकी जिम्मेदारी के प्रति जागरूक कराती रही हैं. उनकी परम भावना रही की हस्तेड़ा स्थित इस मंदिर जी का इसके अतिशय के अनुरूप अति भव्य जीर्णोद्धार हो!

आज से लगभग 25 वर्ष पूर्व इस मंदिर जी की वेदी प्रतिष्ठा में भी उनकी भूमिका और भावना उल्लेखनीय रही और उस समय से उनकी भावना, लगातार, इस मंदिर से जुड़ी रही!

सेठ प्रभु लाल गंगवाल को जहां समाज के विकास और ज्ञान अर्जित की ललक थी वही इन्हे धर्म और मंदिर के विकास मे., यह रुचि उन्हे संस्‍कार मे  पिता, माताजी और बाद मे बहन और जेठानी से मिली जिन्होने गृहस्थ जीवन त्याग कर, दीक्षा ली!

श्रीमती शर्बत देवी की भी जीवनशैली, विचार, ज्ञान और चर्या किसी भी दीक्षित साध्वी के समकक्ष ही है!

उनका, जीर्णोद्धार, के प्रति दृढ़ संकल्प, और उस संकल्प के प्रति सदैव सजगता और नीति के साथ अपने ध्येय को कार्यान्वयन करवाना, आने वाली पीढ़ी के लिए विचार का विषय है. प्रभुसर फ़ाउंडेशन का बीजारोपण उनकी भावनाओ से ही हुआ है!

प्रभुसर फ़ाउंडेशन, का आपको शत शत नमन …!!